श्रम संहिता क्या है ? - ( What is Labour Code of India)

देश में लंबे समय से लंबित  लेबर कोड श्रम संहिता शुक्रवार दिनांक 21 नवंबर 2025 से लागू हो गया। यह भारत में किए गए सबसे बड़े आर्थिक और श्रमिक सुधारों में से एक है। सरल शब्दों में कहें तो, यह भारत के पुराने और जटिल श्रम कानूनों को सरल और आधुनिक बनाने की एक प्रक्रिया है। देश में वेतन , काम के घंटे , मातृत्व अवकाश और यूनियन की मान्यता जैसी कई चीजे नए सिरे से तय की गई है , केंद्र सरकार ने चार लेबर कोड अधिसूचित किए हैं यह है -

  • सोशल सिक्योरिटी कोड (Code on Social Security)-  इसमें PF, ESI, ग्रेच्युटी और मातृत्व लाभ (Maternity benefit) शामिल हैं।
  • औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code) - इसमें कंपनियों के नियम, यूनियन, हड़ताल और छंटनी (Layoff) से जुड़े नियम हैं।
  • वेजेस कोड (Code on Wages) - इसका संबंध सैलरी, बोनस और न्यूनतम वेतन से है।
  • ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code (OSH Code)- कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने के माहौल से जुड़े नियम।
LABOR LAW


श्रम संहिता 2025 की विशेषताएं और कर्मचारियों के लिए लाभ (Benefits for Employees)

👉अब न्यूनतम वेतन कर्मचारी का अधिकार होगा। उन्हें सभी सेवा शर्तों के साथ नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य हो जाएगा ।

👉ओवर टाइम पर दुगना वेतन पाने और महिलाओं को उनकी सहमति से नाइट शिफ्ट में ड्यूटी करने, 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी कर्मियों की सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलेगी। 

👉गिग वर्कर को पहली बार कानूनन पीएफ, ग्रेच्युटी जैसी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है । माइग्रेट वर्कर को 3 साल तक वेतन व लाभों का दावा करने का अधिकार होगा । हर माह 7 तारीख तक सैलरी देनी होगी। 


A. टेक-होम सैलरी बनाम पीएफ (Take-home Salary vs PF):

नियम: नए कोड के अनुसार, आपकी Basic Salary आपकी कुल सैलरी (CTC) का कम से कम 50% होनी चाहिए।

असर: इससे आपका PF योगदान (जो बेसिक पर कटता है) बढ़ जाएगा। इसका मतलब है कि हाथ में आने वाली सैलरी (In-hand salary) कम हो सकती है, लेकिन आपकी रिटायरमेंट सेविंग (PF) और ग्रेच्युटी बढ़ जाएगी।

अब वेतन में - BASIC PAY + DEARNESS ALLOWANCE + RETENTION ALLOWANCE ये सभी शामिल होंगे।  अगर आपका वेतन के अन्य भत्ते जैसे मकान किराया भत्ता , बोनस , वाहन भत्ता , ओवर टाइम भत्ता , कमीशन इत्यादि आपके कुल वेतन का 50 % ही होना चाहिए , यदि इनका कुल जोड़ आपके बेसिक वेतन से ज्यादा हुआ तो जो आधिक्य होगा , उस आधिक्य को आपके बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जायेगा। 

इससे अब आपकी सैलरी बढ़ जाएगी , क्योकि बाकी  भत्तों की गरणा आपके बेसिक सैलरी पर ही की जाती है। 

उदाहरण - नए नियम से सैलरी में क्या बदलाव आएगा वह आपको निचे दिए गए उदहारण में बताया गया है - 

अगर किसी की सैलरी - बेसिक सैलरी रु 15000 , महंगाई भत्ता रु 6000 , और रिटेंशन भत्ता रु 1000 है , तो अब  उसकी बेसिक सैलरी हो गयी - रु 22,000 /-, और इसपर अन्य भत्ते यदि हम रु 40000 है तो कर्मचारी की कुल भुगतान योग्य वेतन होगा रु 62,000/-. 

अब नये नियम के अनुसार उसकी बेसिक सैलरी , उसके कुल सैलरी का 50 % होना चाहिए , यहाँ उसकी कुल सैलरी है 62,000/-, तो अब उसकी बेसिक सैलरी होगी रु 31,000/-, अर्थार्थ उसके बेसिक सैलरी रु 9,000/- बढ़ जाएगी ( रु 31,000  - रु 22,000/- = रु 9,000/-.)

अब यदि बेसिक सैलरी बढ़ेगी तो फिर उसके भत्ते भी बढ़ेंगे , क्योकि भत्ते उसकी सैलरी के अनुसार ही कैलकुलेट होते है। 


B. सभी को न्यूनतम वेतन (Universal Minimum Wages):

अभी तक न्यूनतम वेतन का नियम केवल कुछ ही सेक्टर्स पर लागू था। नए कोड के तहत, देश के हर कर्मचारी (चाहे वह किसी भी सेक्टर का हो) को न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) पाने का अधिकार होगा।


C. गिग वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र (Gig Workers Safety):

ओला, उबर, जोमैटो (Gig workers) जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वालों के लिए पहली बार Social Security (जैसे हेल्थ इंश्योरेंस, ईएसआई) का प्रावधान लाया गया है।


D. काम के घंटे और छुट्टियां (Working Hours & Leave):

कंपनियां हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी (4-day work week) का विकल्प दे सकती हैं, लेकिन इसमें प्रतिदिन काम के घंटे 12 तक हो सकते हैं (कुल 48 घंटे प्रति सप्ताह)।

पहले साल में 240 दिन काम करने पर ही लीव (Earned Leave) मिलती थी, अब इसे घटाकर 180 दिन करने का प्रस्ताव है, जिससे कर्मचारी जल्दी छुट्टी के हकदार होंगे।

लेबर कोड में ये पक्का किया गया है कि हर कर्मी हफ्ते में कम से कम 48 घण्टे काम करे।  चाहे वह हफ्ते में कितने भी दिन काम करे , हफ्ता यदि 4 या 5 दिन का हो तो रोज 8 घण्टे से ज्यादा काम करने पर ओवर टाइम नहीं मिलेगा  - 

  1. 4 दिन का हफ्ता - रोज 12 घण्टे का काम ( 4 * 12  = 48 घण्टे )
  2. 5 दिन का हफ्ता - रोज 9.5 घण्टे का काम  ( 5 * 9.5  = 47.5 घण्टे )
  3. 6 दिन का हफ्ता - रोज 8  घण्टे का काम  ( 6  * 8   = 48  घण्टे )
ओवर टाइम की समय सीमा तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है , पहले 3 महीने में अधिकतम 75 घण्टे की समय मिलता था । 

E. महिलाओं के लिए समानता:

महिलाएं अब नाइट शिफ्ट (रात की पाली) में भी काम कर सकेंगी, बशर्ते कंपनी उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी ले। साथ ही, वेतन में भेदभाव को पूरी तरह खत्म करने पर जोर दिया गया है।

26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव और सरोगेट और एडॉप्शन पर भी मिलेंगे लाभ 

किसी महिला को मैटरनिटी लाभ तभी मिलेगा , जब उन्होंने पिछले 12 महीनो में कम 80 दिन काम किये हो , उन्हें 26 हफ्तों की छुटटी मिलेगी , और भुगतान औसत दैनिक वेतन के बराबर होता है , इनमे से 8 हफ्ते डिलीवरी से पहले लिए जा सकते है। 

नए नियम के मुताबिक जो महिलाये 3 महीने से कम उम्र का बच्चा गोद लेती है , या सरोगेसी के जरिये माँ बनती है , उन्हें 12 हफ्तों की छुटटी मिलेगी। 

देश में अभी 29 श्रम कानून थे । इनमें से अधिकांश 1920 से लेकर 1950 के दशक में बने थे , आज की अर्थव्यवस्था और वैश्विक ट्रेड्स के अनुरूप नहीं थे। असंगठित क्षेत्र और ठेके के वर्कर्स इसके दायरे से बाहर थे।  गिग व प्लैटफॉर्म वर्कर्स जैसे वर्ग को औपचारिक मान्यता नहीं थी । मंत्रालय का कहना है कि 29 कानून को समेट कर केवल चार लेबर कोड लागू किए गए हैं। मंत्रालय का कहना है कि देश के 18 राज्यों ने लेबर कोड के मुताबिक नियम बना लिए हैं या लागू कर दिए गए हैं जिन राज्यों ने ऐसा किया वहां आर्थिक वृद्धि तेज हुई है। महिलाओं की श्रम भागीदारी बड़ी है, निवेश बड़ा है। 

1 साल की नौकरी करने पर ही बन जाएंगे ग्रेच्युटी के हकदार- 

श्रम संहिता में फिक्स टर्म अपॉइंटमेंट ( एफ टी ई) का नया कॉन्सेप्ट लाया गया है।  इसमें स्थाई कर्मचारियों के समान वेतन , छुट्टियां,  काम के घंटे और चिकित्सा लाभ मिलेंगे । एफ टी ई के मामले में 1 साल नौकरी करने पर ही कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होगा। एफ  टी ई को संस्थान स्थाई कर्मचारियों में बदल सकेंगे, पर स्थाई कर्मचारियों को एफ टी ई नहीं बनाया जा सकेग ।

यह सुविधा एफ टी ई में, स्थाई कर्मी को ग्रेच्युटी का लाभ 5 साल में  -  छोटी अवधि की नौकरी है स्थाई कर्मी के लिए ग्रेच्युटी का हक 5 साल की नौकरी पर ही मिलेगा। 

फिक्स टर्म अपॉइंटमेंट - इसमें कर्मचारियों को निश्चित अवधि के लिए कंपनी पे रोल पर रखती है ना कि ठेकेदार के जरिए कर्मचारियों को स्थाई कर्मी जैसी सुविधाएं मिलती हैं। अवधि समाप्त होते ही नौकरी खत्म हो जाती है। यह कॉन्ट्रैक्ट सिविलाइजेशन कम कर सीधे रोजगार को बढ़ावा देता  है.

नेशनल फ्लोरवेज न्यूनतम वेतन स्टार है जिसे केंद्र पूरे देश के लिए बोर्ड देश में एक जैसी सेफ्टी और हेल्थ स्टैंडर्ड बनाएगा। 

समय पर वेतन - अभी अनिवार्यता नहीं कहीं दो-तीन महीने का वेतन एक साथ तो कहीं वर्ष खत्म होने पर 1 महीने का वेतन रोका जाता है अब समय पर देना अनिवार्य होगा। 

24 हफ्ते की पेड़ मैटरनिटी महिलाएं नाइट शिफ्ट कर सकेंगे , 26 हफ्तों की पेट मैटरनिटी लीव और वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिलेगी। 

समान काम के लिए समान वेतन देना अनिवार्य होगा महिला को निर्भर परिजनों में सास ससुर को शामिल करने का विकल्प मिलेगा। 

एक कर्मचारी पर भी ईएसआईसी 

अभी कवरेज अधिसूचित और चुनिंदा उद्योगों तक सीमित , अब पूरे देश में एक समान लागू होगा। 10 से कम कर्मचारी वाली इकाई और खतरनाक काम वाली एक कर्मचारी की इकाई पर भी लागू होगा। 

जिग और प्लेटफार्म वर्कर्स एग्रीगेटर को सालाना कमाई की 5% राशि सोशल सिक्योरिटी फंड में देनी होगी। घर से काम पर आने जाने के दौरान दुर्घटना रोजगार संबंधी दुर्घटना में शामिल होगी। वेलफेयर बेनिफिट्स आधार लिंक उन से मिलेंगे। माइग्रेट होने पर पोर्टेबल होंगे। एमएसएमई वर्कर्स सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, संस्थान में कैंटीन, पीने का पानी। वह रोज आराम का स्थान देना होगा काम के घंटे तय होंगे। पेड लीव की सुविधा मिलेगी।

नया Labor Code क्या है? और पुराने Labor Law से कैसे अलग है?

Labor Law (पुराने श्रम कानून): 

आजादी के पहले और बाद में भारत में श्रमिकों (Workers) के अधिकारों की रक्षा के लिए अलग-अलग समय पर 29 केंद्रीय श्रम कानून (Central Labor Laws) बनाए गए थे। जैसे कि Minimum Wages Act, Factories Act, Payment of Gratuity Act आदि। समस्या यह थी कि इतने सारे कानून होने के कारण नियम बहुत जटिल थे और अक्सर एक-दूसरे से टकराते थे।

Labor Code (नया श्रम ढांचा): 

सरकार ने इन 29 पुराने कानूनों को खत्म करके उन्हें केवल 4 मुख्य "Codes" (संहिताओं) में समाहित (Merge) कर दिया है। इसे ही Labor Code कहते हैं।
विशेषता Labor Law (पुराना) Labor Code (नया)
संख्या 29 अलग-अलग कानून केवल 4 कोड्स
जटिलता बहुत पेचीदा, परिभाषाएं अलग-अलग थीं सरल, एक समान परिभाषाएं (Definitions)
फोकस सिर्फ संगठित क्षेत्र (Organized Sector) पर ज्यादा था असंगठित (Unorganized) और गिग वर्कर्स (Gig Workers) को भी शामिल किया गया है
Compliance कंपनियों के लिए पालन करना मुश्किल था डिजिटलीकरण और आसान प्रक्रिया


नए श्रम कानून के कुछ नकारात्मक पहलू 

कर्मचारियों की छटनी 

पुराने कर्मचारियों की छटनी या नए कर्मचारियों की भर्ती के लिए , कंपनियों की सरकार की अनुमति की तब जरुरत होगी , जब ये 300 से ज्यादा कर्मचारियों के लिए हो , पहले यह नियम 100 कर्मचारियों से  ऊपर  छटनी या नियुक्ति पर थी। 

कर्मचारी यूनियन 

सिर्फ वही यूनियन कर्मचारियों के हक़ में कंपनी से बात कर सकेंगे , जिसे कम से कम 51 % कर्मचारियों का समर्थन हासिल हो , अर्थार्थ अब आधे से ज्यादा कर्मचारियों का समर्थन जरुरी है। 

सरकारी आकड़ो के मुताबिक भारत में संगठित और असंगठित क्षेत्रो को मिलकर 50 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे है , इनमे से 90 % से ज्यादा असंगठित क्षेत्र में है , और अब यह नया कानून इन सब के ऊपर लागु होंगे। 

टिप्पणियाँ